हैलो दोस्तों, आप जब कभी भी इंटरनेट पर किसी website या किसी URL पर जाते होंगें, तो आपको दो तरह के URL दिखते होंगें। कुछ URL के आगे आपने http:// और कुछ URL के आगे https:// लगा देखा होगा। परन्तु क्या आपने कभी ये सोचा है की ऐसा क्यों होता है और इससे हमें उस website या URL के बारे में क्या पता चलता है?
अगर आपको नहीं पता तो ये पोस्ट ध्यान से पढ़िए क्योंकि आज की इस पोस्ट में मैं आप लोगों को यही बताने जा रहा हूँ, कि HTTP और HTTPS में क्या अंतर है और ये क्या प्रदर्शित करते हैं? इसके बारे में पूरे विस्तार से जानकारी देने जा रहा हूँ, तो चलिए शुरू करते हैं और जानते हैं।

HTTP
HTTP का मतलब Hypertext Transfer Protocol होता है। इसकी शुरुआत सन् 1991 में Tim Berners-Lee के द्वारा हुई थी। ये European Organization for Nuclear Research में काम करते थे। सबसे पहले इसका version HTTP/0.9 था। इसका उपयोग तब केवल डाटा को डाउनलोड करने के लिए किया जाता था। इसमें समय के साथ चीज़ें जुड़ती चली गई। आज के समय में इसका HTTP/3 version चलता है, जिसकी शुरुआत सन् 2022 में की गयी थी। HTTP/3 में बहुत से features मिलते हैं जैसे- Multiplexing, Streaming, Header Compression और QUIC आदि।
Versions of HTTP
Version | Starting Year |
HTTP/0.9 | 1991 |
HTTP/1.0 | 1996 |
HTTP/1.1 | 1997 |
HTTP/2 | 2015 |
HTTP/3 | 2022 |
HTTP की प्रमुख विशेषताएँ
⥤ इस Protocol की प्रमुख विशेषताएँ ये हैं-:
● HTTP एक इंटरनेट प्रोटोकॉल है जो वेब पर data को ट्रांसफर करने के लिए उपयोग किया जाता है।
● HTTP एक बहुत आसान प्रोटोकॉल है, जिसे समझना और उपयोग करना बहुत आसान है।
● HTTP का प्रमुख port no. 80 होता है। जब कोई user किसी HTTP वेबसाइट पर जाता है, तो उनका ब्राउज़र port 80 का उपयोग करता है। इस port का काम वेब सर्वर को user के अनुरोधों(requests) को स्वीकार करने और web pages को प्रदर्शित करने की अनुमति देना होता है।
● HTTP एक client-server model का उपयोग करता है। Client-server model वह model है जिसमें एक client अनुरोध(request) भेजता है और server उसका उत्तर देता है।
● HTTP की websites में डाटा की बिल्कुल भी privacy नहीं होती है।
● HTTP के द्वारा data भेजना secure नहीं होता है क्योंकि यह एक सार्वजनिक(public) प्रोटोकॉल होता है।
● यह एक unencrypted प्रोटोकॉल होता है, अथार्त यह वेब data को सीधे और सामान्य text के रूप में ट्रांसफर करता है, जिससे data को आसानी से पढ़ा और समझा जा सकता है।
● HTTP के द्वारा भेजे गए data को hackers आसानी से hack कर सकते हैं अथवा उस data को बीच में बदल भी सकते हैं, जिसे “Man in the middle attack” के नाम से जाना जाता है।
● HTTP की websites पर कभी भी बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड अथवा पासवर्ड जैसी जानकारियाँ नहीं भेजनी चाहिए। आपको कभी इन websites पर payment भी नहीं करनी चाहिए।
● HTTP की अधिकतर websites spam होती हैं। उन websites पर ऐसे links लगे होते हैं जो आपके device में वायरस पंहुचा सकते हैं और आपके device का डाटा भी चोरी कर सकते हैं।
● HTTP की websites में cache करना आसान होता है। HTTP में cache का उपयोग वेब की performance को सुधारने और सर्वर के load को कम करने के लिए किया जाता है।
Cache-> Cache का उपयोग करके, डाटा को temporary storage में रखा जाता है ताकि भविष्य में उसका उपयोग किया जा सके और इससे server पर load कम पड़ता है क्योंकि बार-बार डाटा को generate या fetch करने की ज़रूरत नहीं पड़ती।
HTTPS
HTTPS का मतलब Hypertext Transfer Protocol Secure होता है। HTTPS की शुरुआत सन् 1994 में अमेरिकी कंप्यूटर सेवा कंपनी Netscape Communications Corporation ने की थी। यह SSL protocol के आधार पर काम करता था। सबसे पहले इसका version SSL/1.0 था। SSL/1.0 को ज्यादा सुरक्षित नही पाया गया जिसके कारण इसे जल्द ही बंद कर दिया गया। इसके बाद SSL/2.0 की शुरुआत सन् 1995 में की गई परन्तु इसे भी जल्द ही बंद कर दिया गया। इसके बाद SSL/3.0 की शुरुआत सन् 1996 में की गई जिसकी security और performance में बहुत बड़ा improvement था।
इसके कुछ सालों बाद SSL का upgraded version TLS(Transport Layer Security)/1.0 की शुरुआत सन् 1999 में की गई। इस समय TLS/1.3 का उपयोग किया जाता है, जिसकी शुरुआत सन् 2018 में हुई थी। TLS/1.3 में बहुत से features मिलते हैं जैसे- Hard Security, Extra Privacy और Faster Connection आदि।
Versions of HTTPS
Version | Starting Year |
SSL/1.0 | 1994 |
SSL/2.0 | 1995 |
SSL/3.0 | 1996 |
TLS/1.0 | 1999 |
TLS/1.1 | 2006 |
TLS/1.2 | 2008 |
TLS/1.3 | 2018 |
HTTPS की प्रमुख विशेषताएँ
⥤ इस Protocol की प्रमुख विशेषताएँ ये हैं-:
● HTTPS एक secure version है HTTP का, जो data communication को encrypt करता है।
● HTTPS के द्वारा data भेजना पूरी तरह से secure होता है क्योंकि यह एक encrypted प्रोटोकॉल होता है।
● HTTPS data को encrypt करने के लिए SSL या TLS(Transport Layer Security) का उपयोग करता है।
● HTTPS का प्रमुख port no. 443 होता है। जब कोई user किसी HTTPS वेबसाइट पर जाता है, तो उनका ब्राउज़र port 443 का उपयोग करता है, तथा आपके और server के बीच एक secure connection बनाता है।
● HTTPS के द्वारा भेजे गए data को hackers कभी hack नहीं कर सकते क्योंकि यह data encrypted होता है जिसके कारण data को आसानी से पढ़ा और समझा नहीं जा सकता है।
● HTTPS data को बीच में बदलने से बचाता है अथार्त इसे “Man-in-the-Middle attack” से बचाता है।
● HTTPS की websites पर आप बैंकिंग, क्रेडिट कार्ड अथवा पासवर्ड जैसी जानकारियाँ को भेज सकते हैं, क्योंकि यह आपके data को हमेशा गोपनीय रखता है। आप इन websites पर बिना किसी डर के payment भी कर सकते हैं।
● Search engines(Google, Bing) HTTPS की websites को अधिक प्राथमिकता देते हैं जिसके कारण वह हमेशा top results में show होती हैं।
● HTTPS से users की पहचान की पुष्टि की जा सकती है, जो उसे प्रतिबंधित और अवैध साइटों से दूर रखता है।
● HTTPS की मदद से data communication की गति को बढ़ाया सकता है, क्योंकि यह secure तरीके से data communication को अनुमति देता है।
● Ctrl A से Ctrl Z तक: Computer Shortcut Keys का पूरा गाइड!
HTTP vs HTTPS
HTTP | HTTPS |
HTTP का full फुल फॉर्म Hypertext Transfer Protocol होता है। | HTTPS का full फुल फॉर्म Hypertext Transfer Protocol Secure होता है। |
HTTP में data बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं रहता है। | HTTPS में data पूरी तरह से सुरक्षित रहता है। |
HTTP का default port 80 होता है। | HTTPS का default port 443 होता है। |
HTTP एक Application Layer Protocol है। | HTTPS एक Transport Layer Protocol है। |
HTTP में data unencrypted होता है। जिसके कारण data को आसानी से पढ़ा और समझा जा सकता है। | HTTPs में data encrypted होता है। जिसके कारण data को आसानी से पढ़ा और समझा नहीं जा सकता है। |
HTTP की websites के आगे आपको ऐसा ![]() | HTTPS की websites के आगे आपको ताले जैसा ![]() |
HTTP में data communication की गति को बढ़ाया नहीं जा सकता है। | HTTPS में data communication की गति को बढ़ाया जा सकता है। |
HTTP websites की browser में loading गति तेज होती है। | HTTPS websites की browser में loading गति HTTP की तुलना में थोड़ी धीमी होती है। |
HTTP में server की पहचान केवल URL के माध्यम से होती है। | HTTPS में server की पहचान SSL/TLS के माध्यम से होती है। |
HTTP की websites Search engines(Google, Bing) में कभी-भी उप्पर रैंक नहीं करती हैं। | HTTPS की websites Search engines(Google, Bing) में उप्पर रैंक करती हैं। |
Conclusion
इस पोस्ट का निष्कर्ष यह है कि HTTP और HTTPS प्रोटोकॉल में बहुत अंतर होता है। HTTP unencrypted होता है, जबकि HTTPS data को encrypt करता है और secure रखता है। यदि आपको अपने data की privacy और security का ध्यान रखना है, तो आपको हमेशा HTTPS का उपयोग करना चाहिए। यह आपकी निजी जानकारी को सुरक्षित रखने में मदद करता है और आपको सुरक्षित ब्राउज़िंग का अनुभव प्रदान करता है।
” SSL का फुल फॉर्म Secure Sockets Layer होता है “

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